ट्रांसपोर्टरो को पुलिस व प्रशासन का प्रोटक्शन,मनमानी तरीके से हो रहा ओवरलोड कोल परिवहन
कोयले की धूल फाँकने को राहगीर विवश, सड़को पर छाया रहता है मौत की परछाई
अनोखी आवाज़ न्यूज़
सिंगरौली. सड़क मार्ग से हो रहे कोल परिवहन का दंश झेल रहे ग्रामीणों को राहत मिल सके,इस उद्देश्य से एनजीटी की ओवर साइट कमेटी ने भले ही तमाम तरह के निर्देश जारी किए हों, लेकिन यहां ट्रांसपोर्टरों की पुलिस व प्रशासन से मिलीभगत के चलते सारे नियम शिथिल पड़ गए हैं। नतीजा निर्देशों को ताक पर रखकर ट्रांसपोर्टर प्रतिबंधित रूट से मनमानी तरीके से कोल परिवहन कर रहे हैं। इसका खामियाजा उन ग्रामीण बस्तियों में रह रहे लोगों को भुगतना पड़ रहा है, जो उन मार्गों के इर्द-गिर्द बसी हैं, जहां से कोल परिवहन किया जा रहा है।
ओवर साइट कमेटी की ओर से निर्देश जारी किए जाने के बाद करीब साल भर पहले पूर्व कलेक्टर ने घनी आबादी यानी शहरी क्षेत्र के सड़कों से हो रहे कोल परिवहन को प्रतिबंधित कर दिया था। तत्काल में कोल परिवहन के लिए ऐसा रूट निर्धारित किया गया था, जिससे कम से कम ग्रामीण बस्तियां रास्ते में आएं। हैरत की बात यह है कि समय बीतने के साथ कलेक्टर का निर्देश हवा हो गया और सूत्र बताते हैं की अधिकारियों ने एक-एक कर कई ट्रांसपोर्टरों को शहरी क्षेत्र यानी प्रतिबंधित मार्ग से कोल परिवहन की इजाजत दे दी। पुलिस व प्रशासन की ट्रांसपोर्टरों की मिलीभगत का नतीजा यह है कि वर्तमान में माजन मोड़ से सैकड़ों वाहन हर रोज कोयला लेकर निकल रहे हैं। जबकि पूर्व में माजन मोड़ कोल परिवहन के लिए प्रतिबंधित रहा है।
कोल परिवहन के लिए निर्धारित ये रूट
जानकारी के अनुसार सड़क मार्ग से हो रहे कोल परिवहन का दंश कम से कम भुगतना पड़े इसके लिए पूर्व में अलग रूट निर्धारित किया गया था। निर्धारित रूट के मुताबिक वाहनों को अमलोरी, निगाही, जयंत, दुद्धीचुआ, खडिय़ा व झिंगुरदह से मोरवा होते हुए गोरबी से बरगवां पहुंचने का निर्देश दिया गया था। इसके बाद बरगवां से तेलदह, नौगई होकर परसौना होते हुए खुटार व रजमिलान का रूट निर्धारित था, लेकिन वर्तमान में रूट का पालन न होकर मनमानी तरीके से परिवहन हो रहा है।
हजार वाहन कर रहे कोल परिवहन,प्रदूषण चरम पार
एनसीएल की विभिन्न खदानों से कंपनियों के लिए कोयला परिवहन में वर्तमान में एक हजार से अधिक वाहन लगे बताए जा रहे हैं। कोयले का परिवहन कर रहे वाहनों से प्रदूषण भी चरम पर है। हालांकि कोल परिवहन के लिए अनुमति वर्तमान में चल रहे वाहनों की तुलना में 50 फीसदी से भी कम को मिली है। यह बात अगल है कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कंपनियों की मिलीभगत के चलते बाकी के वाहन बिना अनुमति के साठगांठ से संचालित हो रहे हैं।
इन ट्रांसपोर्टरों के वाहन कर रहे कोल परिवहन
कोयले के कंपनी की विभिन्न खदानों में कोयला परिवहन में लगे ज्यादातर वाहन महावीर ट्रांसपोर्ट, महाकाल ट्रांसपोर्ट, गोदावारी ट्रांसपोर्ट,जियो ट्रांसपोर्ट, बघेल ट्रांसपोर्ट, आर. के. ट्रांसपोर्ट, सहित अन्य कई ट्रांसपोर्टरों के हैं। वैसे यो कुछ को छोड़कर ज्यादातर ट्रांसपोर्टर पुलिस प्रशासन से साठगांठ कर मनमाने तरीके से कोल परिवहन कर रहे हैं। साठगांठ शार्टकट मार्ग से कोल परिवहन करने और डीजल बचाने और कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने के फेर में किया जा रहा है।