Subscribe Us

मुद्दे की बात। अंधेर नगरी चौपट राजा


अनोखी आवाज़ सिंगरौली।



अंधेर नगरी प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार भारतेंदु हरिश्चंद्र का सर्वाधिक लोकप्रिय नाटक है। 6 अंकों के इस नाटक में विवेकहीन और निरंकुश शासन व्यवस्था पर करारा व्यंग्य करते हुए उसे अपने ही कर्मों द्वारा नष्ट होते दिखाया गया है।


अंधेर नगरी चौपट राजा... टके सेर भाजी टके सेर खाजा....।



वर्षों पुरानी कही और... लिखी बात इन दिनों उर्जाधानी के नाम से देश में ख्यातिलब्ध सिंगरौली पर पूरी तरह से चरितार्थ होती नजर आ रही है। वह इसलिए क्योंकि यहां नेतृत्व और नेताओं का अभाव रहा है। कहने को भले सफेद पोशाक और चार पहिया वाहन पर विभिन्न पदों से सुसज्जित बोर्ड  नजर आ जाएंगे.. लेकिन सिंगरौली की आम आवाम का दर्द कोई न सुनने वाला है ना समझने वाला है। अंधेर गर्दी के आलम में सब मनमाने हो गए हैं.. वर्तमान का जो परिदृश्य है उसे देखकर ऐसा लगता है ���ानो यहां की जनता से उनका कोई वास्ता न हो....




चुनाव सरगर्मियों में वही नेता जनता के पैर पड़ने को तैयार रहता है लेकिन जितने के बाद उसी नेता के दर्शन दुर्लभ हो जाते हैं.. और सबसे पहले उन्हें अपने तिजोरी की चिंता आती है क्योंकि चुनाव में जनता के ऊपर खर्च की गई राशि भी तो वापस लानी है। एक बात यह भी है यदि जनता चुनाव के दौरान उनसे पैसे अथवा अन्य तरह के लाभ न लेती तो शायद यह दुर्दशा देखने को न मिलती।


समय की मांग के अनुसार विभिन्न राजनीतिक पार्टियो के नेताओ ने भले ही अपनी कोरी कल्पना और उल्लू सीधा करने के लिए  हजारों लोगों की भीड़ में स्विट्ज़रलैंड... सिंगापुर.... दुबई ...मलेशिया सहित अन्य देशों की तुलना कर लोगो को ख्वाब दिखाए हो लेकिन वास्तविकता क्या है किसी से छिपा नही है अंत मे यहाँ के स्थानीय लोगो को झुनझुने के अलावा कुछ हाथ नही लगा है। 


स्थानीय नेता...स्थानीय लोग सुस्त है और बाहरी चमक-धमक दिखाकर दिनों दिन विभिन्न क्षेत्रों में अतिक्रमण करते जा रहे हैं। बाबजूद यहाँ के नेता... जनता मौन धारण की हुई है...इनकी मौन रहना कितना घातक है यह तो आने वाला समय तय


करेगा लेकिन एक बात तो तय है


सेत सेत सब एक से, जहां कपूर कपास।  ऐसे देश कुदेश में कबहु न कीजै बास....


स्थानीय नेता क्षणिक लाभ के खातिर अपना कर्तव्य और सिंगरौली की धरती का कर्ज उतारना भी भूल जा रहे है....दिल मे व्यथा है भविष्य को देखते हुए मन मे चिंता है....लेकिन करे भी तो क्या...?