अनोखी आवाज मुद्दे की बात नीरज द्विवेदी के साथ
जिले में एक बार पुनः रेत माफिया अपना पाव जमा चुके हैं,और इस कोरोना जैसे महामारी में भी मजदूरों से काम न कराकर पोकलेन मशीनों से दिन रात नदियों का सीना छलनी करने में लगें हैं। ऐसे में उन महान व्यक्तियों से सवाल पूछना तो बनता है,जो कांग्रेस सरकार में अवैध रेत खनन को लेकर तमाम ड्रामेंबाजी किये, इतना ही नहीं बल्कि एक दिवसीय धरना प्रदर्षन आन्दोलन भी किये।
उन आन्दोलनकारियों में भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष विरेन्द्र गोयल भी थे,जो अपने शब्द रूपी बाण से रेत माफियों के सीने पर सीधा हमला कर लहुलुहान कर दिये थे और कांगे्रस सरकार को भी सख्त चेतावनी दी थी कि यदि मजदूरों से काम नहीं करवाया गया तो रेत माफिया और सरकार को उखाड फेकेंगें। लेकिन पूछती है सिंगरौली की जनता... की आज अध्यक्ष विरेन्द्र गोयल क्यों चुप्पी साधें बैठे है...?
अध्यक्ष जी आप की जुबान पर ताले क्यों....?
आज के मुद्दे की बात यह है कि जो जिलाध्यक्ष कांग्रेस के दौर में रेत माफियों के खिलाफ खुली दहाड लगाते हुए उखाड फेेकने की धमकी दे रहें थे आज ऐसे में अध्यक्ष विरेन्द्र गोयल भींगी बिल्ली बनकर क्यों बैठे है..? सवाल तो अनगिनत है लेकिन जवाब एक एक कर लूगा। जनता जानना चाहती है अध्यक्ष की खामोषी की वजह...? क्यों अध्यक्ष की जुबान पर ताले लटक रहें हैं..? क्या पुनः जिलाध्यक्ष विरेन्द्र गोयल अपने टीम के साथ रेत माफियों के साथ उग्र आन्दोलन करेंगें....? हमें तो नहीं लगता की ऐसा होने वाला है,लेकिन क्या मान लिया जाए कि उस समय सिर्फ राजनीति चमकाने के लिए ड्रामेबाजी की गई और अब गांधी जी की मुस्कान ने मन मोह लिया ऐसी सोंच जनता की है,मेरी कहा मजाल जो मैं इतना दूर का सोचू।