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मोहन भागवत ने स्वयंसेवकों को पढ़ाया पाठ

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गुरुवार को आरएसएस द्वारा आयोजित ‘मेट्रोपोलिटन मीटिंग’ में ब्रिटेन में संघ कार्यकर्ता संग हुई बातचीत का जिक्र किया है। उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि नेशनलिज्म का इस्तेमाल मत कीजिए। नेशन कहेंगे… चलेगा, नेशनल कहेंगे… चलेगा, नेशनलिटी कहेंगे… चलेंगा, मगर नेशनलिज्म मत कहिए। नेशनलिज्म का मतलब होता है हिटलर, नाजीवाद। उन्होंने कहा कि दुनिया के बड़े भूभाग के लोग सोचते हैं कि राष्ट्र बड़ा होना दुनिया के लिए खतरनाक बात है। उन्होंने कहा, ‘नेशनलिज्म… दुनिया में इस शब्द का अर्थ आज अच्छा नहीं है। इसलिए आप नेशनलिज्म शब्द का इस्तेमाल मत कीजिए। क्योंकि इस शब्द का मतलब होता है हिटलर… नाजीवाद, फासीवाद।’



अपने संबोधन में संघ प्रमुख ने कट्टरता और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि ये दुनिया भर में शांति को बाधित कर रही हैं और इनका समाधान केवल भारत के पास है, क्योंकि उसके पास समग्र रूप से सोचने और इस समस्याओं से निपटने का अनुभव है। भागवत ने कहा, ‘दुनिया भारत का इंतजार कर रही है, इसलिए भारत को एक महान राष्ट्र बनना होगा।’ उन्होंने यहां आरएसएस द्वारा आयोजित ‘मेट्रोपोलिटन मीटिंग’ में अपने संबोधन में कहा कि जब भी भारत मुख्य भूमिका निभाता है, दुनिया को लाभ होता है।


भागवत ने कहा, ‘कट्टरता, पर्यावरण की समस्याएं और खुद को सही एवं शेष सभी को गलत मानने की सोच विश्व में शांति को बाधित कर रही है।’ उन्होंने कहा कि केवल भारत के पास इन समस्याओं का समाधान तलाशने के लिए समग्र रूप से सोचने का अनुभव है। भागवत ने आरएसएस सदस्यों से हर जाति, भाषा, धर्म एवं क्षेत्र के लोगों से जुड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि भारत का चरित्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ के सिद्धांत के साथ एक धागे में सभी लोगों को बांधने का है।’


भागवत ने एक किस्सा याद करते हुए कहा कि एक मुस्लिम बुद्धिजीवी भारत से हज गया था और उसे ‘लॉकेट’ पहनने के कारण ईशनिंदा के आरोपों में जेल भेज दिया गया था। उन्होंने कहा, ‘तब तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने हस्तक्षेप किया और उन्हें आठ दिनों में छुड़वाया।’ उन्होंने कहा कि भारत से आने वाले हर व्यक्ति को हिंदू समझा जाता है।