कैंप के नाम पर ठेकेदारों का एनसीएल की जमीन पर अवैध कब्जा
अनोखी आवाज़ सिंगरौली।एनसीएल की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालो की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इन अवैध कब्जाधारियों में सभी तरह के लोग अपना आसियान तन चुके है। चाहे वह अमीर हो या गरीब । ऐसा ही एक ताजा मामला संज्ञान में आया है जहाँ जयन्त परियोजना के एनसीएल के जमीन पर कुछ ठेकेदार रहने और कैम्प के नाम पर 1 एकड़ से ज्यादा जमीन कब्जा करके बैठे है।
मजे की बात तो यह है कि एनसीएल सिक्योरिटी के सुरक्षाकर्मी गरीबों के आशियाने उजाड़ने को आतुर रहते है लेकिन उन अमीर लोगों के आशियाने कभी गिराने के प्रयास नही किये गए जो वर्षो से कैंप के नाम पर कब्जा कर वाकायदा वातानुकूलित कमरे के साथ अलग ही जिंदगी का आनन्द ले रहे है। इस भेदभाव पूर्ण कार्यप्रणाली को क्या समझा जाये...? एनसीएल प्रबंधन एक तरफ अतिक्रमण हटाने में जुटी है लेकिन इस अतिक्रमण की चपेट में ज्यादातर गरीब तबके के लोग ही पिसते दिखे है अमीरो के आशियानों पर न जाने क्यों एनसीएल प्रबंधन की नजर नही पड़ती।
कैम्प के नाम पर अवैध कब्जा
एनसीएल के कार्य करने के लिए कैंप के नाम पर ठेकेदार आये दिन एनसीएल की जमीन पर एकड़ से ज्यादा कब्जा कर अपना आशियाना बना लेते है। जिसका जीता जागता उदाहरण जयन्त प्रोजेक्ट में जीएम ऑफिस के पीछे, वही बस स्टंड के समीप ठेकेदार रविशंकर सिंह ने कैंप के नाम पर कब्जा कर वातानुकूलित रूम का आनंद ले रहे हैं। इतना ही नही सूत्रों की माने तो एनसीएल के कर्मचारी न होने के बाद भी प्रबंधन इन्हें सी टाइप का आवास आबंटित कर दिया है। ऐसे में आप खुद अनुमान लगा सकते है कि आम जनता और खास में कितना फर्क है।
एनसीएल प्रवंधन की अमीरो पर कब पड़ेगी नजर..?
अपनी भेदभाव पूर्ण कार्यवाही के लिए चर्चित एनसीएल प्रबंधन हमेशा से ही गरीबों के आशियाने उजाड़ कर अपनी पीठ थपथपाते नजर आया है । और अमीरों पर कार्यवाही करने में न जाने क्यों हमेशा कतराता दिखा है । ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि एनसीएल की बेशकीमती जमीन पर जो बड़े ठेकेदार कब्जा किए हैं उनके ऊपर कब कार्रवाई होगी...? सवाल यह भी है कि क्या उन्हें भी गरीबों की तरह ही नोटिस देकर हटाया जाएगा।