अधिकारियों का मिल रहा भरपूर संरक्षण,समाज सेवा के नाम पर डकैती
अनोखी आवाज सिंगरौली।
नॉन गवर्नमेंट आर्गेनाईजेशन यानी गैर-सरकारी संगठन जो किसी उद्देश्य के साथ बनाए और चलाए जाते हैं। लेकिन सिंगरौली जिले में एनजीओ की परिभाषा ही अलग है। यहां तो सब चमक-धमक दिखाकर अपना उल्लू सीधा करने में जुटे हैं और इस पूरे खेल में संरक्षण के रूप में अधिकारियों की अहम भूमिका है। कागजो में विकास की गंगा बहाते इन एनजीओ की जमीनी हकीकत क्या है किसी नहीं छिपी नहीं है।
समाज सेवा के नाम पर डकैती
कहने को तो समाज सेवा लेकिन इसके पीछे चल रहे काले खेल को यदि हम सीधे तौर पर डकैती कहे तो शायद कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। क्योंकि ज्यादातर एनजीओ समाज सेवा के नाम पर ठेकेदारी चला रहे हैं और समाजसेवी का चोला पहनकर आम जनता और जिला प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर मोटी रकम छाप रहे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि इस खेल को सब समझ रहे हैं लेकिन ना जाने क्यों सब चुप्पी साधे बैठे हैं। और अधिकारी इन फर्जी समाजसेवी को भरपूर संरक्षण दे रहे हैं।
करोड़ों की बनाई संपत्ति, होनी चाहिए जांच
गैर सरकारी संगठन जिसका अपना लक्ष्य और उद्देश्य होता है लेकिन सिंगरौली जिले में चल रहे कुछ एनजीओ को छोड़कर बांकी को यदि हम लूट-खसोट केंद्र का नाम दें तो आश्चर्य नहीं होगा। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो एनजीओ संचालकों की वर्तमान संपत्ति का आकलन किया जाए तो करोड़ों से पार होगी। ऐसे फर्जी समाजसेवियों के चेहरे से नकाब उतारना चाहिए और इनकी करोड़ों की बेनामी संपत्ति की जांच होनी चाहिए।
शेष अगले अंक में....
 
 
 
