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जिले के कुबेर पुत्र टीआईओ के बनाये चक्रव्यूह को क्या नए टीआई भेदने में सफल हो पाएंगे..?

अनोखी आवाज@खरी-खरी


✍🏻...नीरज द्विवेदी "राज"


आज तो मैं खरी-खरी कहता हूं,बुरा नहीं लगना चाहिए,क्योंकि मैं जो देखता और सुनता हूं वही कहता हूं,यदि फिर भी बुरा लगता है तो मैं क्या करूँ...?



भले ही महाभारत में अभिमन्यु ने
चक्रव्यूह का भेदन कर लिया था लेकिन सिंगरौली जिले में लंबे समय से जमे टीआईओ ने इतना खतरनाक चक्रव्यूह बनाया है कि नए लोगो के भेदन करने की बस की बात नही है। इस चक्रव्यूह की संरचना का कुछ अंश ऐसा है कि हम लोग भले ही आपस मे यहाँ-वहाँ हो जाये लेकिन किसी तीसरे को किसी भी कीमत पर इंट्री नही होने देनी है।सवाल ये उठता है कि आखिर ऐसा क्या है ऊर्जाधानी में जो हर किसी को अपना बना लेती है..? जो गलती से भी एक बार यहां आ गया वह जाने का नाम नहीं लेता यदि विषम परिस्थितियों में गया भी तो महीने 6 महीने के अंदर पुनः यही आ जाता है।
अभी फिलहाल  हम अन्य विषय पर नहीं बल्कि थाना प्रभारियों के हुए और होने वाले फेरबदल की बात कर रहे हैं। विचारणीय और चिंतनीय  बात यह है कि कई ऐसे थाना प्रभारी जो वर्षों पहले सिंगरौली जिले में रह चुके हैं... वे आज भी लगातार चारों दिशाओं के चक्कर लगा रहे हैं। नेताओं ने तो गांधी जी के मुस्कुराते गुलाबी कागजो की सुगंध से आंखों पर पट्टी,कानो में तेल और मुँह में दही जमा लिए और इन्हीं का साथ दे रहे है चाटुकार..... कुछ चाटुकार ऐसे है जो न जाने क्यों इनकी भक्ति में लीन है... पुलिस को लेकर जितने नाम आजतक साउथ फिल्मों के   निर्देशक नही सोंच पाए होंगे उससे कहीं ज्यादा नाम तो ये फ़ेसबुकिया चाटुकार खोज कर बकायदा फ़ोटो के साथ....सिंघम...राउडी...दबंग...हुड़दंग, शेर,भालू,चिता लिखकर बेवहज महिमा मंडित कर अपने आप को बहुत बड़ा शुभ चिंतक दिखाने में जुटे है। इन चाटुकारों की भक्ति देखकर कभी ऐसा लगता है माने मोदी भक्तो को भी पीछे छोड़ दिया। इतनी श्रद्धा भक्ति ये कही और दिखाते तो शायद इनके आँखों पर डला पर्दा उठ जाता और समझ आ जाता कि अच्छे थाने में पोस्टिंग के लिए क्या करना पड़ता है।  स्वाभाविक सी बात है जब कोई व्यक्ति 10 रुपये खर्च करेगा तो 20 रुपये बनाएगा ही...। खैर एक बात समझ नही आती ऐसा सिंगरौली में कब तक चलता रहेगा...?


मैं अपनी बात रखने के पूर्व जैसा कि बोला था आखिर ऐसा क्या हैं, जो आता है जाने का नाम नही लेता। तो इसके पीछे मेरे चश्मे से ये हो सकता है कि यहाँ वर्दी और स्टार लगाकर आने वाले हर सख्श कुछ दिन बाद कुबेर पुत्र बन जाता है तमाम औद्योगिक कंपनियां,सीकेडी का कारोबार, कोटे की बची गुलाबी कागजे वर्दी का नाम सुनकर सहम जाने वाली डरी सहमी क्षेत्र की जनता पूरी कर देती है रहने के लिए तमाम सुविधाओं वाला एनटीपीसी का क्वार्टर...अब चाहिए ही क्या...? कुछ बाते ऐसी भी है जिन्हें सुनकर आपको या तो आश्चर्य होगा या तो हंसी आएगी वह यह कि आज भी जिले में कई टीआई ऐसे है जो ये बताने की क्षमता रखते है कि किसके घर मे क्या है....सायकल है कि कार है...परिवार में कितने सदस्य है कौन कहा आता जाता है...क्योंकि अपने नौकरी के सुनहरे पल ऐसे पुलिसकर्मी सिंगरौली में बिता चुके है लेकिन फिर भी न जाने क्यों अभी भी इनका मोहभंग नही हो रहा है...। जिससे मुझे यह कहने में तनिको संकोच नही है कि अंधेर नगरी..चौपट राजा.. जैसे हाल है।


मुफ्त की सलाह देने की आदत सी हो गई है इसलिए सलाह के रूप में ज्यादा बाते नही रखूंगा,क्या पता बुरा लगा जाए... वैसे भी मेरी सलाह कहा मानने वाले है...मुफ्त में मिली चीजो का किसी को कोई कीमत नही...?


जो उगै सो आथवै, फूले सो कुम्हिलाय जो चुने सो ढ़हि पड़ै, जनमें सो मरि जाय....